संसद में हंगामा: विपक्षी सांसदों ने संसद में हंगामा किया और एसआईआर विरोधी नारे लिखी हुई तख्तियां लहराईं

Report By: Kiran Prakash Singh

बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध जारी रहने के कारण शुक्रवार को मानसून सत्र का पहला हफ़्ता बिना किसी कार्यवाही के समाप्त हो गया, सरकार पहलगाम आतंकवादी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर दोनों सदनों में 16-16 घंटे की चर्चा की विपक्ष की मांग पर सहमत हो गई है, हालांकि, उसने यह स्पष्ट नहीं किया कि एसआईआर पर चर्चा की विपक्ष की मांग पर विचार किया जाएगा या नहीं .

नई दिल्ली: बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध जारी रहने के कारण शुक्रवार (25 जुलाई) को मानसून सत्र का पहला हफ़्ता बिना किसी कार्यवाही के समाप्त हो गया.

विपक्ष अन्य मुद्दों के अलावा बिहार में भारत के चुनाव आयोग की कार्रवाई पर चर्चा की मांग कर रहा है, लेकिन सरकार इस बात पर निर्णय नहीं ले रहा है कि आगामी सप्ताह में इस मुद्दे पर चर्चा होगी या नहीं.

कार्य मंत्रणा समिति (बिज़नेस एडवाइजरी कमेटी) की बैठक के बाद केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार पहलगाम आतंकवादी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर क्रमशः सोमवार और मंगलवार को लोकसभा और राज्यसभा में 16-16 घंटे की चर्चा की विपक्ष की मांग पर सहमत हो गई है, हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि एसआईआर पर चर्चा की विपक्ष की मांग पर विचार किया जाएगा या नहीं.

उन्होंने कहा, ‘मैंने आज बिज़नेस एडवाइजरी कमेटी (बीएसी) में कहा है कि विपक्ष की मांग के अनुसार पहले ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा होगी, उसके बाद अन्य मुद्दों पर निर्णय लिया जाएगा,  हर चर्चा एक ही समय पर नहीं हो सकती, नियमों के तहत चर्चा हो सकती है. हमने दोनों सदनों में विपक्ष के दोनों नेताओं से मुलाकात की है, हम चाहते हैं कि संसद सुचारू रूप से चले. और यह मेरी फिर से अपील है .

इससे पहले शुक्रवार को विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक के सदस्यों ने लगातार चौथे दिन एसआईआर कवायद के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, विपक्षी सदस्यों ने गांधी प्रतिमा से संसद परिसर में मकर द्वार तक बैनर और तख्तियां लेकर मार्च किया, उन्होंने मकर द्वार के सामने एक कूड़ेदान रखा, जिसमें राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सहित सांसदों ने इस कवायद की निंदा करते हुए प्रतीकात्मक विरोध के रूप में एसआईआर लिखे कागज को फाड़कर कूड़ेदान में फेंका.

सदन के अंदर विरोध प्रदर्शन जारी रहने के बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने गतिरोध समाप्त करने के लिए सदन के सभी नेताओं की बैठक बुलाई, सूत्रों ने बताया कि बैठक में सरकार ने बिहार एसआईआर पर चर्चा कराने पर कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई.

digitallive को पता चला है कि पूर्व अध्यक्ष बलराम जाखड़ का उदाहरण दिया गया, जिन्होंने चुनाव आयोग पर चर्चा कराने से इनकार कर दिया था.

यह भी सवाल उठाए गए कि किस नियम के तहत चर्चा कराई जा सकती है और सरकार की ओर से कौन जवाब देगा, जिस पर विपक्षी सदस्यों ने कहा कि एक सामान्य चर्चा कराई जा सकती है, जिससे सदन में सभी लोग इस मुद्दे पर अपने विचार रख सकें.

हालांकि इस हफ़्ते की शुरुआत में बीएसी ने पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की विपक्ष की मांग पर सहमति जताई थी, जिसके लिए दोनों सदनों में 16 घंटे का समय निर्धारित किया गया है, लेकिन विपक्ष का कहना है कि यह चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में होनी चाहिए, अब यह चर्चा 28 और 29 जुलाई को होनी है, जबकि विपक्ष बिहार एसआईआर पर चर्चा की मांग को लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहा है.

लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने संसद के बाहर पत्रकारों से कहा, ‘मंगलवार के बाद विपक्ष ने पहलगाम के बारे में कुछ नहीं कहा क्योंकि हम जानते थे कि इस हफ़्ते चर्चा नहीं हो सकती क्योंकि प्रधानमंत्री विदेश में हैं, तब से हमारी एक ही मांग रही है – एसआईआर पर चर्चा, एक हफ़्ते बाद लोकसभा अध्यक्ष ने सभी दलों को बैठक के लिए बुलाया, लेकिन इसके बाद भी हमें कोई नई बात पता नहीं चली, बैठक के बाद भी सरकार स्पष्ट रूप से यह नहीं बता रही है कि वह सदन में इस मुद्दे पर चर्चा करेगी या नहीं.’

सदन के अंदर सरकार ने कहा कि वह प्रासंगिक नियमों के तहत सभी चर्चाओं के लिए तैयार है, लेकिन उसने बार-बार स्थगन का सहारा लिया और एसआईआर पर चर्चा की विपक्ष की मांग के बारे में कुछ नहीं कहा.

सुबह स्थगित होने के बाद दोपहर 2 बजे जब लोकसभा दोबारा शुरू हुई, तो भारतीय जनता पार्टी के सांसद जगदम्बिका पाल ने सदस्यों को समितियों की रिपोर्ट पेश करने के लिए आमंत्रित किया और फिर सदन में मर्यादा बनाए रखने की आवश्यकता पर लगभग दस मिनट तक बोले. उन्होंने सदस्यों से विपक्ष के विरोध के बीच सदन की कार्यवाही चलने देने का आग्रह किया, लेकिन किसी भी विपक्षी सदस्य को बोलने की अनुमति नहीं दी गई, पाल ने एसआईआर पर चर्चा की मांग पर भी कुछ नहीं कहा.

उन्होंने कहा, ‘मैं आपसे व्यक्तिगत रूप से विचार करने का आग्रह करता हूं कि इस व्यवधान से किसे लाभ हो रहा है ?

इस हंगामे से किसे लाभ हो रहा है? जिन लोगों ने आपको चुनकर इस सदन में भेजा है, उन्हें निश्चित रूप से इस व्यवधान से कोई लाभ नहीं है, जनता ने आपको यहां अपनी चिंताएं व्यक्त करने और अपनी कठिनाइयों के बारे में बोलने के लिए भेजा है.’

पाल ने कहा कि जब सदस्य सप्ताहांत में अपने निर्वाचन क्षेत्रों में लौटेंगे, तो उनसे पूछा जाएगा कि उन्होंने संसद में क्या किया और उन्हें आत्मचिंतन करने के लिए कहा जाएगा.

उन्होंने कहा, ‘जब सरकार सदन के अंदर और बाहर दोनों जगह कह रही है कि वह नियमों के तहत सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है, तो फिर आप (संसद) में व्यवधान क्यों डाल रहे हैं?

इस व्यवधान का कारण क्या है? आप सरकार से जवाब चाहते हैं, वह तैयार है, मैं कह रहा हूं.’

इसके बाद केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल उठे और कहा कि चर्चा होनी चाहिए और सरकार ‘तैयार’ है, इसके बाद पाल ने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी.

राज्यसभा में भी सुबह नए सदस्यों के शपथ ग्रहण के दौरान बिहार एसआईआर और बंगाली भाषी प्रवासी मज़दूरों के साथ भेदभाव समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा की मांग को अस्वीकार कर दिया गया. दोपहर 12 बजे जब सदन की कार्यवाही पुनः शुरू हुई, तो प्रश्नकाल शुरू हुआ, लेकिन सदन की कार्यवाही चार मिनट के भीतर ही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई.

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