Report By: Kiran Prakash Singh
नई दिल्ली, (digitallivenews)।
सुप्रीम कोर्ट आगामी 8 अगस्त को उस महत्वपूर्ण याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें केंद्र सरकार को जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के निर्देश देने की मांग की गई है। यह याचिका धारा 370 के निरस्तीकरण से जुड़े ऐतिहासिक फैसले के बाद की स्थिति और वादे पर केंद्रित है।
मामला क्या है?
यह याचिका कॉलेज शिक्षक जाहूर अहमद भट और सामाजिक कार्यकर्ता खुर्शीद अहमद मलिक द्वारा दायर की गई है। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिसंबर 2023 में धारा 370 को हटाने को वैध ठहराए जाने के बावजूद केंद्र सरकार ने अब तक राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है, जबकि शांतिपूर्ण विधानसभा चुनाव हो चुके हैं।
पृष्ठभूमि
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में केंद्र सरकार से कहा था कि राज्य का दर्जा “जल्द से जल्द” बहाल किया जाना चाहिए, लेकिन कोई समयसीमा निर्धारित नहीं की गई थी। उस समय सॉलिसिटर जनरल ने भी कोर्ट को आश्वस्त किया था कि यह प्रक्रिया शीघ्र शुरू होगी।
8 अगस्त की सुनवाई क्यों अहम है?
इस याचिका को मुख्य न्यायाधीश वी. आर. गवई के समक्ष लाया गया, जिन्होंने इसे 8 अगस्त की तय तारीख से न हटाने की सहमति दी है। याचिका एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड एजाज मकबूल के जरिए दाखिल की गई है।
राजनीतिक हलचल और संकेत
इस बीच, दिल्ली में हुई उच्चस्तरीय बैठकों ने इस मुद्दे को और भी गर्मा दिया है:
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के बीच रविवार को बैठक हुई।
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सोमवार को संसद भवन परिसर में एक अहम बैठक में एनएसए अजीत डोभाल, आईबी प्रमुख तपन डेका और गृह सचिव गोविंद मोहन शामिल रहे।
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मंगलवार सुबह एनडीए सांसदों की बैठक में भी जम्मू-कश्मीर के मसले को लेकर चर्चाएं होने के संकेत मिले हैं।
हालांकि, इन बैठकों को लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि राज्य का दर्जा बहाल करने की प्रक्रिया जल्द शुरू हो सकती है।
निष्कर्ष
8 अगस्त को होने वाली सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई अब राजनीतिक और संवैधानिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण बन गई है। क्या केंद्र सरकार अब अपने वादे के अनुरूप जम्मू-कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा देगी? या यह मुद्दा अभी और खिंचता रहेगा — इसका जवाब आने वाले दिनों में साफ हो सकता है।