Report By: Kiran Prakash Singh
नई दिल्ली,
संसद की थाली में ‘भेटकी’ का स्वाद: सेहत और संस्कृति का संगम :
नई दिल्ली की सियासी गलियों में इन दिनों राजनीति से अलग एक स्वाद की चर्चा हो रही है—बंगाल की मशहूर भेटकी मछली अब संसद की कैंटीन में परोसी जाएगी, इस बदलाव ने खासकर तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसदों में उत्साह की लहर दौड़ा दी है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की पहल पर संसद कैंटीन के मेन्यू में बड़ा बदलाव किया गया है, अब से मेन्यू में पौष्टिक और क्षेत्रीय व्यंजनों को प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे सांसदों, अधिकारियों और आगंतुकों की सेहत बेहतर हो और विविध भारतीय स्वादों को मंच मिले।
नए मेन्यू में क्या खास है?
नए मेन्यू में रागी-बाजरा इडली, ज्वार उपमा, मूंग दाल चीला, और उबली सब्जियों के साथ ग्रिल्ड भेटकी मछली जैसे व्यंजन शामिल किए गए हैं, इसके साथ-साथ पेय विकल्पों में ग्रीन टी, हर्बल चाय, मसाला सत्तू, और गुड़ युक्त आम पन्ना जैसे देसी और सेहतमंद विकल्प जोड़े गए हैं।
टीएमसी की प्रतिक्रिया: “यह तो हमारी संस्कृति है”
टीएमसी के एक सांसद ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “भेटकी हमारी संस्कृति का हिस्सा है। इसे संसद की थाली में देखना गर्व की बात है।” बंगाल में खासकर त्योहारों और पारंपरिक अवसरों पर भेटकी मछली एक अहम व्यंजन होती है।
स्वास्थ्य और विविधता का मेल
ओम बिरला का कहना है कि मेन्यू में बदलाव का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य को बढ़ावा देना है, कम कैलोरी, कम सोडियम और ज्यादा फाइबर-प्रोटीन वाले व्यंजनों को प्राथमिकता दी गई है, यह पहल देश की पारंपरिक पाक विरासत को आधुनिक स्वास्थ्य मानकों से जोड़ने का प्रयास है।
राजनीति के बीच स्वाद की बात
संसद की गंभीर बहसों और गरमागरम चर्चाओं के बीच अब बंगाली स्वाद की भी चर्चा हो रही है, कुछ सांसदों ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, “अब तो संसद की कार्यवाही के बीच भी एक झलक बंगाल की मिल जाएगी।”
संसद की कैंटीन का यह नया रूप केवल भोजन का बदलाव नहीं है, बल्कि यह देश की विविधता को एक थाली में समेटने की कोशिश भी है, जहां सांसदों को सेहतमंद विकल्प मिल रहे हैं, वहीं क्षेत्रीय व्यंजनों को भी राष्ट्रीय पहचान मिल रही है।
अब देखना यह है कि संसद की बहसों में जितना रस होगा, उतना ही स्वाद क्या थाली में भी बना रहेगा?