मध्य प्रदेश पुलिस की नई पहल: रोज़ रामचरितमानस का पाठ, जानिए क्यों

Report By: Kiran Prakash Singh

 

मध्य प्रदेश:

पुलिस ने घर के पास तैनाती के लिए रंगरूटों की तबादले की मांग के बीच सभी पुलिस प्रशिक्षण केंद्रों में हर शाम रामचरितमानस का पाठ करवाने का फैसला किया है, ताकि जवानों को राम के 14 वर्षों के वनवास से सीख मिले और वे घर की याद से परेशान न हों.

मध्य प्रदेश पुलिस ने हाल ही में घर के पास के प्रशिक्षण केंद्रों में तैनाती को लेकर तबादले की मांग कर रहे नए जवानों के बीच एक अनोखी पहल शुरू करने का फैसला किया है, अब राज्य के सभी पुलिस प्रशिक्षण केंद्रों (पीटीएस) में हर शाम ‘रामचरितमानस’ का पाठ कराया जाएगा, ताकि जवानों को राम के 14 वर्षों के वनवास से सीख लेने की प्रेरणा मिले.

इस हफ्ते से राज्य के आठ पुलिस प्रशिक्षण केंद्रों में नए बैच का प्रशिक्षण शुरू हुआ है. अधिकारियों के मुताबिक, हर रात सोने से पहले जवानों को रामचरितमानस के कम से कम दो अध्याय पढ़ने के लिए कहा जाएगा, ताकि वे घर की याद से परेशान न हों.

‘मेरे पास कई नए रंगरूटों की अर्ज़ियां आई हैं कि उन्हें घर के पास वाले प्रशिक्षण केंद्र में शिफ्ट किया जाए, लेकिन यह सोच पुलिस की ट्रेनिंग की मूल भावना के खिलाफ है, अगर हम हर किसी को घर के पास ट्रेनिंग देंगे, तो वे कभी भी नक्सल प्रभावित या चुनौतीपूर्ण इलाकों में काम करने के लिए तैयार नहीं होंगे.’

मध्य प्रदेश पुलिस के अनुसार, अब तक करीब 300 नए रंगरूटों ने अपने गृह ज़िले के पास प्रशिक्षण केंद्र में तबादले की मांग की है. वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि अगर कुछ को भी अनुमति दी गई, तो तबादलों की बाढ़ आ जाएगी.

रामायण से राम के वनवास का उदाहरण देते हुए वरिष्ठ अधिकारियों को कहा कि भारतीय संस्कृति में घर से दूर रहना कोई नई बात नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘भगवान राम 14 साल तक अयोध्या नहीं लौटे थे, इस दौरान उन्होंने जंगल में रहना सीखा, सेना बनाई और मुश्किलों का सामना किया, अगर हमें रंगरूटों को कुछ सिखाना है, तो वह हमारे अपने सांस्कृतिक संदर्भों से होना चाहिए, जिससे वे जुड़ाव महसूस कर सकें.’

इस समय राज्य भर में करीब 4,000 रंगरूट नौ महीने का ट्रेनिंग कोर्स करने वाले हैं, इस दौरान रामचरितमानस सत्र हर शाम बैरक इंचार्ज द्वारा आयोजित किए जाएंगे.

एडीजी राजा बाबू सिंह ने पहले भी पुलिसिंग में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहलुओं को जोड़ा है, ग्वालियर ज़ोन में एडीजी रहते हुए उन्होंने दशहरा पर जेलों में ‘गीता ज्ञान’ अभियान चलाया था और बंदियों को श्रीमद्भगवद्गीता की प्रतियां भी वितरित की थीं.

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