Report By: Kiran Prakash Singh
नई दिल्ली,(digitallivenews)।
चुनाव में गड़बड़ी के आरोप: राहुल गांधी का बड़ा दावा, कहा—2024 लोकसभा चुनाव में हुई धांधली, हमारे पास हैं सबूत
नई दिल्ली, 2 अगस्त 2025 — कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। शनिवार को विज्ञान भवन में कांग्रेस पार्टी के विधि विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में उन्होंने दावा किया कि चुनाव में व्यापक स्तर पर गड़बड़ी हुई है। राहुल गांधी ने कहा, “अब हमारे पास इस गड़बड़ी के पक्के दस्तावेज और डेटा हैं, जो साबित करते हैं कि 2024 का लोकसभा चुनाव निष्पक्ष नहीं था।”
फर्जी वोटर की योजना का आरोप
राहुल गांधी ने एक लोकसभा सीट का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां 6.5 लाख वोटरों में से 1.5 लाख वोटर फर्जी पाए गए। उन्होंने इसे किसी एक क्षेत्र तक सीमित न मानते हुए कहा, “यह कोई अपवाद नहीं है, बल्कि सुनियोजित और व्यवस्थित फर्जीवाड़ा है।”
“चुनाव आयोग मर चुका है”
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी गंभीर सवाल उठाए और कहा कि अब यह संस्था स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर रही है। उन्होंने कहा, “भारत में चुनाव आयोग मर चुका है। उसे एक स्वतंत्र संस्था की तरह नहीं, बल्कि एक राजनीतिक उपकरण की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है।”
बहुमत पर सवाल
नेता प्रतिपक्ष ने दावा किया कि अगर बीजेपी को 15-20 सीटें कम मिलतीं, तो नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री नहीं बनते। उन्होंने कहा कि “बीजेपी की सरकार बहुमत की नहीं, बल्कि चुनावी गड़बड़ी की उपज है।”
महाराष्ट्र, गुजरात से मिला सुराग
राहुल गांधी ने कहा कि 2014 से उन्हें चुनाव प्रणाली पर संदेह था, लेकिन गुजरात विधानसभा चुनाव में यह शक गहरा हुआ। उन्होंने महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए कहा कि लोकसभा में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन कुछ महीनों बाद विधानसभा चुनाव में हार हुई। जब जांच की गई, तो पाया गया कि इस बीच 1 करोड़ नए वोटर जुड़ गए, जिनमें से अधिकतर वोट बीजेपी को गए।
राजनीतिक और कानूनी लड़ाई की घोषणा
राहुल गांधी ने साफ किया कि कांग्रेस पार्टी अब इन तथ्यों और दस्तावेजों के आधार पर देशव्यापी अभियान चलाएगी। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि कानूनी स्तर पर भी लड़ी जाएगी।
निष्कर्ष
राहुल गांधी के ये आरोप 2024 लोकसभा चुनाव की निष्पक्षता को लेकर नई बहस को जन्म दे सकते हैं। हालांकि चुनाव आयोग या भाजपा की ओर से इस पर अब तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन आने वाले दिनों में यह मुद्दा राजनीतिक विमर्श का केंद्र बन सकता है।