“हुमा कुरैशी: थिएटर से ‘महारानी’ तक का बेबाक सफर”

Report By: Kiran Prakash Singh

🎬 हुमा कुरैशी: थिएटर की ज़मीन से लेकर ‘महारानी’ बनने तक का सफर

28 जुलाई 1986 को दिल्ली में जन्मीं हुमा कुरैशी आज फिल्म इंडस्ट्री की एक ऐसी कलाकार हैं, जिन्होंने बिना किसी फिल्मी बैकग्राउंड के, अपने टैलेंट और आत्मविश्वास के दम पर बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक एक खास पहचान बनाई है।

🎭 थिएटर से शुरुआत, इतिहास की छात्रा से अदाकारा बनने तक

दिल्ली यूनिवर्सिटी से इतिहास में स्नातक करने के दौरान हुमा की रुचि थिएटर में बढ़ी और उन्होंने एक्ट 1 ग्रुप के साथ काम करके अपने अभिनय को तराशा। स्टेज पर पसीना बहाते हुए, किरदारों को जीते हुए उन्हें एहसास हुआ कि अभिनय ही उनका असली जुनून है।

📺 विज्ञापन की दुनिया से सिनेमा तक

मुंबई आने के बाद हुमा ने विज्ञापन की दुनिया में कदम रखा। इस दौरान उन्होंने शाहरुख खान और आमिर खान जैसे सितारों के साथ विज्ञापनों में काम किया। यहीं से निर्देशक अनुराग कश्यप की नजर उन पर पड़ी और उन्होंने हुमा को अपनी फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में मौका दिया। इस फिल्म में हुमा के अभिनय ने आलोचकों और दर्शकों — दोनों को प्रभावित किया और उन्हें फिल्मफेयर नॉमिनेशन मिला।

🎥 विविध किरदारों की कलाकार

हुमा ने कभी एक जैसे रोल्स को खुद पर हावी नहीं होने दिया। ‘लव शव ते चिकन खुराना’, ‘एक थी डायन’, ‘डेढ़ इश्किया’, ‘बदलापुर’, और ‘जॉली एलएलबी 2’ जैसी फिल्मों में उन्होंने भिन्न-भिन्न शैलियों में अभिनय कर अपनी रेंज साबित की।

🌍 हिंदी से परे – मराठी, तमिल और हॉलीवुड तक

हुमा का सफर सिर्फ बॉलीवुड तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने मराठी फिल्म ‘हाइवे’, तमिल फिल्म ‘काला’ (सुपरस्टार रजनीकांत के साथ), और एक हॉलीवुड प्रोजेक्ट में भी अभिनय किया। इससे साबित होता है कि वह सीमाओं में विश्वास नहीं करतीं।

📺 ओटीटी की ‘महारानी’

वेब सीरीज ‘महारानी’ और ‘लीला’ में हुमा ने ऐसे किरदार निभाए जो गहराई, सशक्तता और सामाजिक चेतना से भरपूर थे। खासकर ‘महारानी’ में उनके राजनीतिक किरदार ने उन्हें ओटीटी की सबसे मजबूत महिला किरदारों में से एक बना दिया।

🍲 तरला और लेखन का स्वाद

2023 में आई फिल्म ‘तरला’ में हुमा ने शेफ तरला दलाल की भूमिका निभाई, जिसने दर्शकों को भावुक कर दिया। उसी वर्ष उन्होंने अपनी पहली किताब ‘जेबा: एन एक्सीडेंटल सुपरहीरो’ भी लॉन्च की — जिससे यह साफ हो गया कि वह केवल अदाकारा नहीं, बल्कि एक कथाकार भी हैं।

🕌 खुद की पहचान पर गर्व

हुमा कुरैशी हमेशा अपने विचारों को बेबाकी से रखती आई हैं। एक बार उन्होंने कहा था,
“मैं मुस्लिम हूं लेकिन भारत में कभी अलग-थलग महसूस नहीं किया। मुझे अपनी जड़ों पर गर्व है।”
यह बयान उनके सामाजिक दृष्टिकोण और आत्मविश्वास को दर्शाता है।

🏆 सम्मान और समाजसेवा

हुमा को अब तक तीन फिल्मफेयर नॉमिनेशन, एक ओटीटी अवॉर्ड, और कई एनजीओ से जुड़ाव का श्रेय मिल चुका है। वे सोशल वर्क में भी सक्रिय रहती हैं।


👑 एक बेबाक और बहुआयामी ‘महारानी’

हुमा कुरैशी का सफर दिखाता है कि मेहनत, आत्म-विश्‍वास और कला के प्रति समर्पण हो तो कोई भी नाम और पहचान बना सकता है।
बॉलीवुड की चकाचौंध भरी दुनिया में हुमा वह रोशनी हैं, जो खुद जलती है — और दूसरों को राह दिखाती है।

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